अरे वाह अनुपजी, नारे बना के देने वाला एक आफिस खोल लीजिये, वैसे ही जैसे विज्ञापन बनाने वाला होता है।
2.
मुझे लगता है कि विज्ञापन बनाने वाला रात में और एसी क्लास में हमेशा सफर करता है…..उसे कोई कुछ बताता नहीं या वह अपने कोच में अकेला होता है!
3.
रही बात इस विज्ञापन की, तो वैसे कोई सम्बंध नहीं, शायद विज्ञापन बनाने वाला बहुत तेज था, वो गहराई में जाकर बात कहना चाहता था कि देखों आज के घरों की दीवारें कैसे सीमिंट से बनी हैं कि महिलाएं तोड़कर दीवारों को बाहर आ गई, कपड़ों से भी।